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कविता-- मानव धर्म

कविता-- मानव धर्म 

कह गए ऋषि मुनि सारे 
मानव जीवन है अनमोल प्यारे 

करे तप कठिन जन्म जन्म का 
तब मिले तन मानव शरीर का

 बुद्धि विवेक से से जानी
 इसका नहीं कोई सानी 

विद्या, बुद्धि, तप ज्ञान
क्षमा दया संयम दान

 है इस जीवन का यही आधार
 मानव धर्म का यही सार।

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सीमा..✍️🌷
©®
#लेखनी दैनिक प्रतियोगिता

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9 Comments

Swati chourasia

20-Sep-2022 07:46 PM

बहुत खूब

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Suryansh

16-Sep-2022 07:48 AM

बहुत ही उम्दा और सशक्त रचना

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Pallavi

10-Sep-2022 11:15 PM

Very nice

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